जब इमाम अबू हनीफ़ा रह० ने हक़ की तरफ़ रुजू किया | Jab Imam Abu Hanifa (rh) Ne Ruju Kiya

بسم الله والحمد لله والصلاة والسلام على رسول الله
Is mazmoon ko Roman Urdu me padhne ke liye yahan click karen.
इमाम अबू हनीफ़ा रह० से मस्अला पूछा गया कि एक आदमी ने किसी बाग़ से फल चुराए हैं. मिसाल के तौर पर संतरों का एक बाग़ है और इससे फल चुरा लिए हैं. ऐसे आदमी के बारे में क्या हुक्म है?
इमाम अबू हनीफ़ा रह० ने फ़रमाया
یُقْطِعُ
“इसका हाथ काटा जाएगा.”
इमाम अबू हनीफ़ा रह० के इस फ़तवे की दलील क़ुरआन की आयत है:
“चोर मर्द और चोर औरत के हाथ काट दो.” सूरत अल माइदा (आयत 38)
कौन से हाथ काटे जाएं? यह बात हदीस से साबित है. हाथ काटने से मतलब पूरा बाज़ू काटना है या कुहनी तक काटना है या कलाई तक, यह भी हदीस से साबित है. बाज़ उलमा ने दायाँ हाथ काटने का ज़िक्र भी किया है.
इस मजलिस में एक अहल-ए-हदीस आलिम मौजूद थे, इमाम अबू अवाना रह०. उन्होंने फ़रमाया कि हमारे पास नबी करीम ﷺ की एक हदीस है. फिर इन्होंने हदीस पढ़ी कि नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया
((لاَ قَطْعَ فِیْ ثَمَرٍ))
फल चुराने के लिए हाथ नहीं काटा जाएगा.
ये अलफ़ाज़ हदीस से साबित हैं. [मुस्नद हुमैदी ह० 408, सुनन तिर्मिज़ी ह० 1449 वग़ैरह. इब्ने हिब्बान (ह० 4449 या 4466) और इब्ने जारूद (ह० 826) ने सहीह कहा है]
इमाम अबू हनीफ़ा रह० यह हदीस सुनने के बाद फ़रमाते हैं;
لا یقطع، لایقطع
हाथ नहीं काटे जाऐंगे, हाथ नहीं काटे जाऐंगे. यह जो मेरा लिखा हुआ फ़तवा है उसे काट दो.
इससे पता चला कि इमाम अबू हनीफ़ा रह० तो हदीस को मानते थे. इससे यह भी पता चला कि इमाम अबू हनीफ़ा रह० क़ुर्आन की हदीस के साथ तख़सीस के भी क़ाइल थे. इससे यह भी पता चला कि जो लोग कहते हैं कि क़ुर्आन के ख़िलाफ़ ख़बरे वाहिद नहीं मानेंगे, इमाम अबू हनीफ़ा रह० उसके क़ाइल नहीं थे.
हवाले: इस मुकम्मल वाक़्ये की सनद के लिए देखिए किताब अस्सुन्नह ली अब्दुल्लाह बिन अहमद बिन हम्बल ह० 380, सनद सहीह
इमाम अब्बू अवाना का नाम अबू अवाना वज़ाह बिन अब्दुल्लाह अल यश्करी था. रहमतुल्लाह अलैह.
ख़ुलासा: मालूम हुआ कि इमाम अबू हनीफ़ा रह० सहीह हदीस के क़ाइल और उस पर अमल करने वाले थे और इसके साथ क़ुर्आन मजीद की तख़्सीस के भी क़ाइल थे. हक़ की तरफ़ रुजू करना, अहल-ए-ईमान की निशानी है.
यह मज़मून हाफ़िज़ जुबैर अलीज़ई रह० की वीडियो से लिया गया है.
जज़ाकल्लाह ख़ैर.